28 April 2010

मुहर

ज़्यादा देशों में अपन ए को प्रमाणित करने के लिए, हस्ताक्षर करते होंगे। जैसा बैंक से पैसे निकालने में या संविदा करने के समय।   जापान में भी ऐसा समय में ज़रूर अपने हाथ से अपना नाम लिखना चाहिए। और हस्ताक्षर के साथ, अपनी नाम की मुहर भी लगाना है। मकान या ज़मीन का क्र्य-विक्रय  व्यापार, ऐसे महत्वपूर्ण और ज़्यादा पैसे चलाने के अवसर में, ख़ासकर मुहर लगाते हैं और उस मुहर को क आफ़ी ध्यान से रखते हैं ताकि किसी से न इस्तेमाल करें। हम उस ख़ासकर मुहर को सरकारी दफ़्तर को पंजीकृत करते हैं। पंजिकृत मुहर दुनिया में एक ही है।

लेकिन आम की मुहर रोज़ आसनी से इस्तेमाल करते हैं।  सामन लेना, कोई सभा में उपस्थित लेने में, ऐसे समय में हस्ताक्षर भी लिखी बिना, सिर्फ़ बनी-बनाई मुहर ही लगाते हैं। बनी-बनाई मुहर तो बाज़ार में कोई  भी आसनी से मिल सकते हैं। इसलिए ऐसी मुहर लगाने पर किसी की प्रमाणित कर नहीं सकते...यह  काफ़ी जानकर फ़िर हम मुहर इस्तेमाल करते हैं।

प्रमाणित करने में बेकाम होने पर भी, जापानियों को मुहर पसंद है। तरह तरह डिज़ाइन की मुहर बनवाते हैं,  ऐसा लोग भी कम नहीं है। मुझे भी मुहर बहुत पसंद है...मुहर के प्रति खासकर लगावत है। अपने नाम की ही नहीं, एक डिज़ाइन को लगातार बनाने औजार की रूप में।
डिज़ाइन मुहर 




नाम की बनी-बनाई मुहर 

25 April 2010

स्लिपर

जापानी घर के अंदर आने से पहले जूता या चप्पल उतारना चाहिए। हस्पताल, रेस्टराँ, होटल,  विश्वविद्धालय...ऐसी जगह में उतारने की ज़रूरत नहीं है। फिर भी, छोटे निजी हस्पताल या क्लिनिक,  जापानी परंपरित होटल या रेस्टराँ, और स्कूल में हम जूता उतारते हैं।

भारत में भी, व्यकति के घर में ज़्यादातर  उतारते  हैं न ? लेकिन कभी कभी पहनते हुए हैं। भारत में मैंने दूसरे भारतीय लोगों का तौर-तरीके देखकर जूते उतारकर या पहनते हुए घर के भीतर जाती थी। उतारेंगे तो अधिकतर मकान के बाहर उतारते हैं, आप लोग। लेकिन जापान में ज़रूर मकान के अंदर में जूता उतारते हैं।

यह हमारे घर के प्रवेशद्वार है। हमारा फ़्लैट छोटा है, इसलिए प्रवेशद्वार भी छोटा है...मकान के प्रवेशद्वार तो  कम से कम इस का चोगुना, छगुना का चौड़ा है... खैर, जापानी फ़्लैट का प्रवेश्द्वार अधिकतर ऐसा है...।

हम यहाँ जूते उतारते हैं। और उतारने के बाद फ़िर पहनते हैं, चट्टी ( स्लिपर ) को।  स्कूल में भीतरी जूते को।

स्लिपर

और जापानी परंपरित कमरे में फ़िर स्लिपर  उतारते हैं। शौचालय के बाहर भी स्लिप र उतारकर...फिर  शौचालय में दूसरे को , शौचालय के लिए स्लिपर, पहनते हैं !
मकान के भीतर न गंदा करने के लिए प्रवेशद्वार में जूते उतारते हैं। लेकिन क्यों मकाम में ऐसा बार बार  स्लिपर पहनते उतारते हैं?

पता नहीं, पर मेरा विचार यह है...शायद हम जापानि यों के लिए, परंपरित जापानी कमरा, सब से महत्वपूर्ण  है...बढ़ा-चढ़ाकर बोलूँ  तो पवित्र कमरा है। जापानी परंपरित कमरे में तातामि का नाम फ़र्शवाला बिछा  है
जो एक प्रकार पौधे से बनी।  उस तातामि पर जूते या स्लिपर पहनते हुए चलना कभी नहीं जाने देगा।

स्लिपर तातामि साफ़ रखने  के लिए तातामि के कमरे के बाहर  पहनते हैं, शायद।  और अब का शौचालय तो बहुत साफ़ के बावजूद, शायद हमें ऐसा लगता होगा कि फ़िर भी  घर के दूसरे कमरे से अपवित्र है। इसलिए शौचालय के लिए खासकर  स्लिपर पहनते हैं...।


बायाँ : जापानी परंपरित ढंग का कमरा
उस कमरे का फ़र्श लकड़ी का फ़र्शवाले कमरे से थोड़ा सा ऊँचा है।

22 April 2010

एक पत्तागोभी 200 रुपये

पिछले शुक्रवार को तोक्यो में और यहाँ साइतामा (तोक्यो के बगल) में भी बरफ़ पड़ा। अप्रेल में बरफ़ मिलना तो बहुत कम। अगर यहाँ बरफ़ पड़ भी जए तो भी, जनवरी, फरवरी में, दिसंबर या मार्च का बरफ़ भी आमतौर पर नहीं है। ख़ासकर चेरी के फूल खिलने के बाद का बरफ़ मैंने पहले बार देखा।

कल तो इस मौसम की रूप में बहुत गरम था। यहाँ तापमान 24 डिग्री तक चढ़ा...मोनो हर साल के माई या जून का तापमान हो। और आज फिर ठंडा बारिश हो रही है।

बराबर कम ताप से सब्जियों की फ़सल बहुत कम हो रही हैं। अब एक पत्तागोभी का दाम करीब 100 रुपये है। 3 हफ़्ते के दाम से तिगना हो गए। फिर भी स आइतामा में खेत ज़्यादा होने से ताज़ा सब्जियाँ तोक्यो  से मुक़ाबले में सस्ते मिलते हैं। सुना है, तोक्यो में एक पत्तगोभी के लिए 200 रुपये या कभी कभी इस से ज्यादा पैसा न देंगे तो कभी नहीं मिलेगा।



अजीब रूप का "करीर पत्तागोभी"।
इस प्रकार का गोभी का पत्ते मुलायम और कच्चे खाने के लिए बहुत स्वदिष्ट है।

19 April 2010

PC पर निर्भर

पिछ्ले दो-तीन दिनों से मैं बेचैन हूँ। अपनी एक सहेली की तबीयत बहुत बिगड़ गई। वह पिछले महीने से  होस्पताल में भर्ती है।

पिछ्ले शक्रवार को उस के पति ने SNS (Social Network System जैसा Facebook) में लिखा, " उस की तबीयत बहुत बुरी है। पता नहीं कबतक इस दुनिया में रहेगी। उस से  मिलना चाहें तो जल्दी आना। "

हमारी मित्रता बहुत पुरानी है।  30 साल पहले से, मुझ से बडे लोगों की और लंबा सालों की मित्रता जोड़ते  हैं।  मूल की बात, हम सब SF...विज्ञान कथा....फैन थे। बाद में एस. एफ़. से कोइ संबंध नहीं, तरह तरह की बातें के लिए हिस्सा लेने लगे। और एस. एफ़. कोंवेंशन, कैंपिंग, खाने पीने के लिए,  वगैरह वगैरह इधर उधर साथ साथ जाकर जवानी गुज़रते हैं।  40-50 लोगों से SNS में संग बनाकर हमेशा एक दूसरे  से संपर्क करते हैं ... ऐसा समझती थी मैं।

लेकिन कुछ  दोस्त के पास PC नहीं है, यानी PC न प्रयोग करनेवाले भी हैं। धीरे धीरे ऐसे लोगों से संबंध ढीला हो रहा था। पिछले महीने सहेली की बीमार के बारे में जानकर मैं 3 बार हस्पताल गई, फिर भी PC न प्रयोग करनेवालों को उस पर नहीं बताती थी। अब तो  बताना पड़ता है। इसलिए पिछले दो तीन दीनों, मैं इधर उधर फ़ोन कर रही थी। बहुत दिन बाद पुराने दोस्तों से बत की। वेंडिंग मशीन ही नहीं, मैं PC पर निर्भर रहती हूँ।

कल एक दोस्त से के साथ, सहेली मिलने हस्पताल जाऊँगी। उस दोस्त, सहेली से 10 सालों के बाद मुलाकत होगी। और मुझे भी अंत में उस दोस्त से मिलते 5 साल बीत गए।

16 April 2010

लंबा या छोटा, यह सवाल है

आजकल जापान में बहुत ज़्यदा भारतीय लोग रहते हैं। उन में बहुत अच्छी जापानी बोलनेवाला कम नहीं है।
 कभी कभी हमारे देश का युवक से सुद्ध जापानी बोलते हैं। उच्चा रण भी सुन्दर है। अगर किसी तरह दोष खोजने की कोशिश करूँ तो, भारतीय लोग बोलते जापानी का स्वर, थोड़ा सा छोटा लगता है। मेरे विचार में,
जापानी स्वर हिन्दी स्वर की तुलना में डेर गुना लँबा है। और जापानी भाषा में स्वर की लंबाई का अंतर बहुत महत्तवापूर्ण है .....शब्दों का अर्थ अलग हो जाता है।

उदाहरण के तौर पर,
  ओका-सान   (सान मतलब जी)

ऐसा हिन्दी में लिखा हुआ देखा तो 3 व यक व्तक्तियाँ सूझती हूँ।
okaa-san ( माता )
oka-san ( ओका का नाम व्यक्ति )
ooka-san ( ओओका नाम व्यक्ति )

और जापान में oooka का कुलनाम भी है। हिन्दी में लिखूँ तो ओओका-सान ? लेकिन उस नाम उच्छारण करने में, पहला लंबा है और दूसरा छोटा है।

संबंधी का नाम भी झंझट है।
oji-san ( ताऊ, चाचा, मामा, कका )
ojii-san ( दादा, नाना )
oo-oji-san( दादा, नाना या दादी नानी के भाई )

अगर आप विदेशी है और जापानी अच्छी तरह बोल नहीं सकते होने पर, महिलाओं को बुलाने में काफ़ी धान रख दीजिए।

oba-san ( अंटी, फूफा, बूआ, मौसी, चाची, मामी, नन्द )
obaa-san ( दादी, नानी )
oo-oba-san ( दादा, नाना या दादी नानी की बहन )

अगर अब मैं obaa-san कही जाऊँ तो नाराज़ हो जाऊँगी।

खैर, ऐसा लिखा तो हिन्दी संबंधी का नाम, जापानी स्वर की लंबाई से और ज़्यादा मुश्किल है!

15 April 2010

संप्रेषण योग्यता


2006 के बाद मैं भारत नहीं घूमने गई हूँ। लेकिन कम से कम उस समय तक भारत में वेंडिंग मशीन नहीं देखा था। बैंक या स्टेशान पर लंबा क्यू लगाते हुए जापान का वेंडिंग मशीन का याद करती थी।
 
जापान में टिकट अधिकत र वेंडिंग मशीन से निकालते हैं। इसलिए टिकट मिलने के लिए इतना लंबा समय खड़ा होने की ज़रूरत नहीं है। आजकल एक एक टिकट खरीदे बिना, एक पास से हर रेल गाड़ी, बस, सबवे सब चढ़ सकते हैं। टिकट ही नहीं, पीनी खाने की चीज़ भी वेंडिंग मशीन से मिलते हैं। सामान भी क्लोक को माँगे बिना, कोइन लोक्कर में सिक्का डालकर आराम से रख सकते हैं। चीज़ों पर फ़िक्स प्राइस लगा है, दाम पूछे  बि ना सिर्फ़ पैसा देंगे तो रेज़गी ठीक ठीक वापस आएगा। समय भी ज़्यादा नहीं लगता। हमें वे सुविधा लगता है।


कोर्ड ड्रिंक का  वेंडिंग मशीन


लेकिन सुविधा तो इतना अच्छा है?
दूसरों से बात न करके सब कुछ खुद कर सकता है, यह ज़रूर अच्छी बात है?

तोक्यो में दिन भर किसी से कुछ भी बात किए बिना रह सकते हैं। मुझे कभी कभी ऐसा लगता है...हम दूसरों से मिलना-जुलनी का तकनीक या संस्कृति खो रहे हैं। फ़ुसफ़ुसाना भी अपने मुंह से नही, twitter में लिखते हैं।  बातचीत से पहले आवाज़ निकालना भी भूल जाएँगे।

13 April 2010

वसंत का फूल

तोक्यो में चेरी के फूल अधिकतर झड़ा है, लेकिन यहाँ साइतामा में अभी पूरा खिलते  है, जहाँ मुख्य तोक्यो से 50 km उत्तरी ओर दूरी है।



चेरी के फूल मार्च से उत्तरार्ध में आते हैं। खिलने के बाद, सिर्फ़ 7-10 दिनों में ही फूल झड़ते हैं। फ़िर भी चेरी की नज़र उत्तर चढ़ते चढ़ते होक्काइदो, जापान में सब से उत्तर प्रिफ़ेक्चार ( प्रदेश ) में माई के शुरू तक पड़ती है।
 
कब चेरी खिलने लगेगा? पूरा खिलने का  दिन कब है? उस समाचार पर हर साल हम बहुत धान रखते और चर्चा करते हैं। जापान में भी हज़ारों प्रकार के फूल होते हैं। लेकिन सिर्फ़ फूल कहें तो जापान में इस का मतलब चेरी का फूल है। ऐसा हमें चेरी से प्यार लगता है, चेरी हमारे लिए विशेष फूल है, शायद वसंत के प्रतीक की रूप में। चेरी खिलने के बाद, ठंडाई कम होते होते सुहावना मौसम हो जाता है।

चेरी के हलका पिंक, सरसों फूल की पीला, दोनों वसंत की रंग है।



तुझे देखा तो ये जाना सनम
प्यार होत है दीवाना सनम
अब यहाँ से कहाँ जाएँ हम
तेरी बाँहों में मर जाएँ हम

12 April 2010

सब से प्रसिद्ध जापानी शब्द

भारत में सब से प्रसिद्ध जापानी शब्द सायोनारा होगा।

मुझे जापानी पहचाने पर बहुत ज़्यादा लोगोंने कहा "सायोनारा" । जब तक LOVE IN TOKYO का नाम फ़िल्म के बारे में पता नहीं था, तब तक मैं हरान थी....मिलते ही विधा अभिवादन क्यों कही जाती हूँ ?

हाँ जी, सायोनारा विदा लेते समय का नमस्कार है। लेकिन मूल का अर्थ अलग था। सिर्फ "ऐसा तो", "अच्चा तो", यानी "तब तो", ऐसा बातचीत के बीच में कहते समुच्चयबोधिक था।

"अच्चा, तो अब आज्ञा दीजिए।"
पहले ऐसा कहते थे, वह अब पहला शब्द ही इस्तेमाल करते होंगे ।



डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में, 2003
एक गाड़ी के पीछी में लग था

10 April 2010

कुल चिह्न

यह हमारा कुल चिह्न है।

यह मेरे मैके का


और यह मेरी मंमी के मैके का है।

हर जापानी घर के पास अपना कुल चिह्न है। एक ज़माने में, जब जापनी सजना-धजना कपड़ा किमोनो (जापानी परंपरित कपड़ा) था, औपचारिक कपड़े को अपने कुल चिह्न लगाते थे। अब हम किमोनो बहुत कम पहनते हैं, इसलिए अपना कुल चिह्न भी अधिकतर भूलते हैं। जापान में शादी की कपड़ा भी उधार लेना आम की बात है, फ़िर भी हम उस कपड़े में भी अपने कुल चिह्न लगा सकते हैं। (बाद में आसनी से उसे हटा सकते हैं) काई कुल चिह्न लगाए हुए टाई भी मिल सकता है। और अधिकतर समाधि में भी कुल चिहन लगा है।

जापान के सम्राट का कुल चिह्न यही है।
सारे लेकिन जापान में सब से प्रसिद्ध कुल चिहन तो शायद यह है।
तोक्कुगावा राजघ्राने का है, जापान में जिसका राज 1603 से 1867 तक जारी रखा था। अब भी इस ज़माने का ड्रामा टीवी कार्यक्रम में बराबर दिखाई देता है, इसलिए सब जापानी वह काफ़ी पहचानी हैं।

08 April 2010

निष्द्धि शब्द

हम किसी अवसर पर किसी शब्दों को कभी कभी कतराते हैं, अशुभ दूर रखने के लिए।

उदाहरण के लिए, शादी में "काटना" "फटना" "टूटना" "दरार पड़ना", जिस के पास एक को अलग अलग करने का मतलब है, ऐसा शब्द  अशुभ लगता है।

और परीक्षा से पहले, "गिलना" "फिसलना" भी अच्छ नहीं है। जापानी में "असफल होना" तो ऐसा शब्द से अभिव्यक्त करते हैं। बीमार, मृत्यु, ऐसा दुख अवसर पर "दोबारा" "बार बार" ऐसा शब्द भी उचीत नहीं है।

नर्वस लोग तो सुरिबाचि भी  "आतरिबाचि" कहते हैं। क्योंकि "सुरि" में कूटना का मतलब ही नहीं, खोना या जेबकतरा का अर्थ भी है। तो खोना की जगह, हिट मिलना, लगाना, चलना, ऐसे अर्थ का शब्द "आतारि" इस्तेमाल करते हैं।

07 April 2010

अख़बार/ समाचार पत्र

यह जापानी अख़बार है। यह भी ऊपर से नीचे, दायीं से बायीं ओर से पढ़ते हैं।


सब से पीछे अंतिम पत्र में टीवी कार्यक्रम लिखा है। 

हमारे घर में एक दैनिक अख़बार मंगवाते हैं। दिन में दोबारा, सवेरे और शाम को पहुँचता है। रविवार और छुट्टी दिन शाम का अख़्बार नहीं है, सिफ़ सवेरे ही आता है।

दुकान या स्टेशन पर भी अख़बार खरीद सकते हैं, लेकिन माहवारी पढ़े तो, बारिश भी हो, हर स्थिति में भी, ज़रूर मिलता है। और चंदा के अवला रोज़ पहुँचवाने के लिए खासकर पैसा नहीं लगाता है। आजकल समाचार पत्र से नहीं, वेव साइट में समाचार पढ़नेवाला बढ़ रहा है। लेकिन मुझे अख़बार पसंद है। अगर घर में समाचार पत्र नहीं हो तो सब्जी ताज़ा रखने के लिए किस से लपेटूँ ? और खिड़की साफ़ करने के लिए भी समाचार पत्र सब से उपयोगी है।
खासकर अख़बार मंगवाते तो, रोज़ चर्चा पत्र भी साथ साथ आते हैं। आसपास के दुकान का विज्ञापन के।



चर्चा पत्र
आज का डिस्कौण्ट क्या है? आज किस दुकान में क्या क्या सस्ता मिलेगा? यह ढूँढना तो मेरा सुबाह का मनोरंजन है।

05 April 2010

ऊपर से नीचे

यह दोनों संतेक्ज्युपेरी का "छोटा राजकुमार" हैं।
 बायीं पुस्तक हिन्दी में और दायीं जापानी में लोखा है।
 

हिन्दी अक्षरों को बायीं से दायीं ओर, और पंकित ऊपर से नीचे लिख्ते हैं। जापानी भी ऐसा लिखते हैं।  
फ़िर, जापानी तो अक्षरों को ऊपर से नीचे भी लिखते हैं। उस समय पंकित दायीं से बायीं ओर लिखते हैं। इसलिए पुस्तक भी दायीं ओर से खुलाते हैं।


दोनों पुस्तकें के पीछे



04 April 2010

आधा वापस देने की प्रथा

जो पिछ्ले पोस्ट में लिखा, किसी को बधाई करने या दिलासा देने के लिए पैसा देने का हमारा आदत है।

बधाई करने के लिए, कुछ तोहफ़ा भी देते हैं। फ़िर पैसा कुछ काम में भी आता है, उपयोगी होगी...ऐसा सोचकर पैसा देना भी आम की बात है।

ऐसा तर्कपूर्ण जापानी लोगों के पास, बहुत असंगत प्रथा है कि मिला पैसा का आधा, देनेवाले को वापस देने की।

उदाहरण के तौत पर, आप किसी के अंत्योष्टि संस्कार में 5000 येन देंगे तो, 35 या 49 दिन के बाद, उस स्वर्गीय के परिवार से लगभग 2500 येन की कीमत की चीज़ पहुँचेगी। जैसे साबुन, टावेल सेट, ऐसे आवश्यक वस्तुएँ। आज कल कुछ भी आप चाहें, वह चुनने के लिए सूचीपत्र आता है। उन में से आपकी पसंद चीज़ चुनकर वही मिल सकते हैं।

बीमारों की मिज़ाजपुर्सी, वह भी ठीक होने के बाद, मिला पैसे के करीब आधा कीमत की चीज़ भेजते हैं।

जापानी औपचारिक शादी जाते समय, हम पैसा लेते आते हैं। शादी में सिर्फ़ भोजन ही नहीं, कुछ तोह्फ़ा भी मिलेगा। उन की कीमत हमरा दिया पैसे का आधा की कीमत से बराबर नहीं हो सकता है। लेकिन पैसे के अलावा, कुछ भेंट भेजेंगे तो, बाद में अधिकतर आधा पहुँचेगा। बूढ़े लोग ऐसा कहते हैं कि दुख दूर होने के लिए, और खुश बाँटने की प्रथा है। लेकिन मुझे लगता है, बाद में आधा लेने से पहले से आधा देना तो तर्कपूर्ण है।

03 April 2010

पैसा लिफ़ाफ़ा


यह क्या है?

यह शूगि-बुकुरो, यानी शुभ पैसा लिफ़ाफा है।


जापान में कोई संसकार में बधाई करने के लिए और शोक करने के लिए दूसरों को पैसा देने का आदात है। जैसा शादी, या कोई उत्सव, ऐसा शुभ मौके में शूगि-बुकुरो, लाल एवँ सफ़ेद रंग के लिफ़ाफ़े में पैसा रखकर भेंट करते हैं। ऐसा लिफ़ाफ़ा तो भारत में भी होता है।


छोटे छोटे लिफ़ाफ़ा, टिप देने में इस्तेमाल करते हैं।

और जैसा अंत्योष्टि संस्कार या बरसी समारोह, ऐसे मौके में काला एवँ सफ़ेद रंग के लिफ़ाफ़ा, बुशूगि-बुकुरो (बुशूगि मतलब अशुभ)  इस्तेमाल करते हैं।





लिफ़ाफ़े के बीच में लाल, काला या सोने रंग का लाइन या सूत्र है, इस के नीचे पैसा भेंट करनेवाले का नाम लिखकर पैसा देते हैं।

शादी के लिए




बीमारों की मिज़ाजपुर्सी के लिए



 धन्यवाद देने के लिए

01 April 2010

गरम पानी गरम बनाना

पानी जापानी में मिज़ु कहते हैं। और विस्तार से बताऊँ तो ठंडा पानी। गरम पानी को ओयु  का शब्द इस्तेमाल करते हैं।

पानी गरम करके गरम पानी बनता है। लेकिन सब जापानी, यानी शुद्धा जापानी में गरम  पानी बनाना को ऐसा कहते हैं, "ओयु ओ वाकासु " ...वाकासु का मतलब "गरम बनाना / करना ", इसलिए इस वाक्या का मतलब, "गरम पानी गरम बनाना / करना। "

गरम पानी और गरम करेंगे तो भाप हो जाएगा!

काफ़ी सोचकर एक जापानी, मुझे भी यह अज़ीब लगता है। लेकिन "मिज़ु ओ वाकासु "..."पानी गरम बनाना / करना " कभी नहीं कहते हैं।