एक दिन ज़ेब्रा क्रोसिंग पर एक विदेशी आदमी से संबोधित की गई थी । लाल बत्ती नीला रंग बदरने को इंतज़ार करते करते उस से हल्की बात करती थी।
'आप कहाँ जा रही हैं?'
'स्टेशान।'
'मैं भी आप के साथ स्टेशान जा सकता हूँ?'
'हाँ! क्यों नहीं?'
हम स्टेशान पहुँचे, तब उसने कहा।
'मुझ से बात करने के लिए धन्यवाद।'
मुझे यह सुनकर तनहा लगा...। 'बात करने के लिए धन्यवाद।' ?अब तक दूसरे जापानी ने उससे बात नहीं किया ?
अधिकतर जापनियों को अंग्रेज़ी नहीं आती है, इसलिए विदेशी से बार करने को डरते हैं, ऐसा जापानी भी होते होंगे, लेकिन उसी आदमी, मुझ से जापानी में बात करते थे।
और दूसरे दिन, रेल गाड़ी में एक जापानी आदमी, फर्श पर बैठते थे। वह मुझ से बुढ़े थे, इसलिए मैंने खड़ा होकर उसे अपने सीट दिया...और पता चला वह नशे में थे।
'बेहनो, शूक्रिया। तुम कहाँ जाओगी ?'
'मैं ....तक जाऊँगी।'
मैं ....तक जाऊँगा। उस स्टेशान तक यहाँ से कितने स्टेशान होंगे?।
'काई स्टेशान... गाड़ी पहुँचने से पहले, मैं आप को बताऊँगी। '
सवेरे था, पर वह नशे में होने से काफ़ी गडबड़ बात कहते थे। तब बच्चा लेते जवान मंमी आई। उस का बच्चा छोटा था। वह बुढ़े आदमी, उस मम्मी को अपने सीट देने के लिए खड़ा हुअ था। नशे से लडखड़ाने लगा। उसी गाड़ी के दूसरे काई पैसिंजर की खिल्ली की सुनाई दी।
मम्मी ने कहा,
'हम अगले स्टेशान पर उतर जाएँगे। आप बैटे रहिए।'
और उस मम्मी, बच्चा, अगले स्टेशान पर उतरकर चले गए।
उस के बाद, उस आदमी के स्टेशान तक हम बात की।
'सुनिए, आप का स्टेशान पहूँचवाले हैं।'
'अच्छा, बेहनो, शूक्रिया। यह लेना।'
उसने ऐसा कहाकर जीब से नोट निकला।
'नहीं, नहीं ....'
फिर तनहा लगा। उस आदमी किस के लिए पैसा देने चाहते थे? बात करने के लिए?
जापान कब से ऐसा देशा हो गया, बात करने के लिए धन्यवाद या पैसा देने का विचार उठने का।
04 July 2010
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क्या ऐसा जापान में इसलिये हो रहा है कि वहां के लोग इतने व्यस्त हो गये हैं कि दूसरे से बात करने के लिये समय नहीं है या इस कारण कि वहां बच्चे कम हैं।
ReplyDelete"नहीं ओबा-सान नहीं ऐसा नहीं है ...एक-दो उदाहरणों से कुछ भी साबित नहीं होता क्योकि अजनबियों और शराबियों से तो वैसे भी कम बात की जाती है इन लोगों से तो केवल दो लोग बात कर सकते हैं एक तो बच्चे और दूसरे साधु-संत या फिर आप जैसी अच्छी ओबा-सान। दुनियादार लोगों के पास तो किसी से भी बात करने का समय नहीं होता....बह्त अच्छी पोस्ट..फिर मिलते हैं ओबा-सान..."
ReplyDeletegaurtalab prasang ...japan ke baare me lagta hai ab kaaphi-kuch ab maalum padega..dhanywad
ReplyDeleteउन्मुक्त जी, व्यस्त तो नहीं है।
ReplyDeleteगाँव लोग तो ऐसा नहीं हैँ। शहरमें तरह तरह के लोग रहते हैं, इसलिए शायद शहर के लोग अंजान से बात करने को डरते होंगे। बच्चा...हमरे भी नहीं है। जापान में ऐसा भी बहुत ज़्यादा हैं।
Amitraghat जी,
ReplyDeleteउत्तर देने में देर होने के लिए क्षमा कीजिए। काई दिनों मैका में थी।
हाँ जी, आप शायद सही हैं। सब क सब जापानी ऐसा नहीं हैं। लेकिन कोई खिल्ली करते लोग बच्चा लेते मम्मी को सीट नहीं दिया। सिर्फ शराबी ने देनेवले थे।
कौन अच्छे हैं?
gaurtalab जी, नमस्कार।
ReplyDeleteमेरी नज़र शयद कभी कभी एक तरह हो जाता है।
लेकिन यह भी एक जापानी की विचार है।
aapki hindi shuddh na sahi par aapki baaten dilchasp jarur hai. accha laga padhkar.
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