29 July 2010

नूडल खाने का शिष्टाचार

जापान में आजकल खूब गर्मी पड़ती है। गर्मी मौसम में जैसा भारतीय खाना, थाइलैंड के खाना, ऐसा मसालेवाले यानि तीखा खाना अच्छा लगता है। लेकिन ज़्यादा गर्मी से खाने का इच्छा भी खो गया तो हम जापानी ठंडा खाना खाते हैं। जी, हम भी काफ़ी जानते हैं कि ठंडा खाना पेट के लिए इतना अच्छा नहीं है। फिर भी कम से कम कुछ खाने का इच्छा उठाने की ज़रूरत है। भारी गर्मी में ठंडा नूडल मज़ेदार लगता है।
सोओमें

जापान में नूडल के प्रकार बहुत ज़्यादा हैं। चौमेन की तरह नूडल भी हैं, लेकिन अधिकतर सूप के साथ खाते नूडल हैं। गैहूँ  का नूडल, कूदू के नूडल, मोटा नूडल, पतला नूडल...तरह तरह के नूडल और तरह तरह के सूपके जुटाव अनेक है।
सोबा
उदों 

गर्मी मौसम में नूडल ठंडा सूप के साथ खाना अच्छा लगता है। सूप के साथ नूडल जल्दी खाना मज़ेदार है ताकि नूडल न पानी लेकर मोटा हो जाए। नूडल जल्दी खने में विशेष शिष्टाचार होता है कि कसकर आवाज़ करने का।

यह अजीब बात है। आमतौर पर जापानी शिष्टाचार में, खाने -पीने में आवाज़ करना करताया जाता है। हम आवाज़ न करने के लिए मुँह बंधकर चबाते हैं। सूप पीते समय भी धीमा लेते हैं।  फिर भी नूडल लेने में ही आवाज़ न करके चबाएँ तो 'गाँवारी' कहा हाता है। नूडल चबाना देखने में बदमज़ा और भद्या लगता है। आवाज़ करेगे तो ठीक है...ऐसा आसनी बात नहीं है। देखने में ललित, और सुनने में स्वादिष्ट आवाज़ से खाना चाहिए।

10 comments:

  1. हा हा हा आ गए जी ललित

    बहुत यम यम पोस्ट है,

    मौसी जी नुडल खाने का मन है ललित का।

    आप सिर्फ़ फ़ोटो ही दिखाती हैं,

    कभी सच में भी तो खिलाईए

    अच्छी पोस्ट

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  2. बढ़िया पोस्ट...इतनी सारी बातें बता दीं नूडल्स के बारे में.......धन्यवाद

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  3. "ओबा-सान यहाँ पर तो बारिश का सीज़न चल रहा है..हर ओर बारिश ही बारिश ...और इस मौसम में भुट्टे और दूसरी तमाम गर्म चीज़ें बहुत अच्छी लगती हैं जिनमें नूडल्स भी शामिल हैं...और मेरे ख्याल से नूडल्स को चप-चप कर खाने का मज़ा ही कुछ और है....बहुत अच्छी पोस्ट ओबा-सान.....फिर मिलते हैं...."

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  4. ललित शर्मा जी,
    मैंने "ललित" का शबद पहेले बार इस्तेमाल किया। खाने में ललित तो उचीत नहीं शबद है क्या?
    जब आप जापान आएं तो मैं ज़रूर आप को खिलाऊंगी।

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  5. rashmi ravija जी,
    बढ़िया तो नहीं होगा...हिन्दी में ठीक ठीक लिख नहीं सकी, शर्मिंदा हूँ। लेकिन कोइ टिप्प्णी लगाएँ तो खुशी हूँ।

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  6. Amitraghat जी,

    वहाँ कब तक बारिश मौसम चल रहा है? जापान में इस साल जुलाए के बीच में बारीश खतम हो गया।
    नूडल खाने का आवाज़, ऐसा है।
    http://www.youtube.com/watch?v=tlT5K_HukTI

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  7. देखने में ललित, और सुनने में स्वादिष्ट आवाज़ से खाना चाहिए।
    ..हम तो इतना दिमाग लगा कर कभी नहीं खाते. भूख लगी हो, सामने नूडल हो, चप-चप टूट पड़ते हैं. हाँ भूख न हो, सिर्फ मेजबान (खिलाने वाला) का दिल रखने के लिए खाना हो तो एकदम से शरीफ बन जाते हैं.
    ..आपका पढ़ना अच्छा लगा. भूल गया था, खेद है.

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  8. बेचैन आत्मा जी,
    सामने जो आए उसको प्रेम से खाना चाहिए
    । इस से खाना बहुत मज़ेदार हो जाता है, और परिवार का प्रेम भी बढ जाएगा ...यह मेरे घर की बात है। :-)

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  9. mausi jee, aapne khane ki baat likhi aur dekhiye mai aa gaya na ;)

    badhiya jankari di aapne, shukriya...

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  10. Sanjeet Tripathi जी,
    मैंने भी रायपुर, दुर्ग, दल्ली राजहर, डोंगरगढ़ में तरह तरह के खाना खाए।
    सिंघाड़ा, मैं रायपुर में पहली बार खाया। लेकिन सुना है, मेरी मंमी ने वही बचपन में खाया था।

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