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शोओजि काग़ज़ अनपेक्षित टिकाऊ होने के बावजूद, काग़ज़ तो काग़ज़ है। ऊँगुली से चुभाएँगे रतो फट जाता है। लेकिन जालीदार पर सारा शोओजि काग़ज़ चिपकाना तो झंझट है। इसलिए जब शोओजि काग़ज़ के एक भाग फटता है, हम पैचवर्क की तरह छोटा काग़ज़ चिपकाते हैं। जालीदार के एक फ़्रेम के अनुसार, चौकोरे रूप के काग़ज़ भी चिपका सकते हैं, लेकिन अधिकतर लोग, फूल या पत्ते की रूप में काग़ज़ काट करके गोटा-पट्ठा की तरह चिपकाते हैं। पर इतना छोटा गोटा-पट्ठे के लिएम, मेरे बचपन में पकाए चावल को कुचलकर पेस्ट की जगह प्रयोग करते थे।
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शोओजि, लकड़ी के जालीदार पर काग़ज़ चिपकाते हुए दरवाज़ा है। लकड़ी के जालीदार के ऊपर, गर्द लग जाता है। हम शोओजि के गर्द, झाड़न से झाड़कर कपड़े से पोंछते साफ़ करते हैं।
लेकिन एक एक साफ़ करना बड़ा जाटिल है। व्यस्तता से और असावधानी से शोओजि की सफ़ाई पर कभी कभी ध्यान न देते हैं। ढुष्ट सास जी, जैसे टीवी कार्यक्रम में शोओजि के जालीदार को ऊँगुली से पोंछकर, "साफ नहीं है।", ऐसा कहाकर बहू को सताती हैं।
"साफ नहीं है।"
मुझे कमरा साफ करना इतना पसंद नहीं है, फिर भी मेरी स्वर्गीया सास जी बहुत अच्छी थीं, ऐसा कभी नहीं किया।
फिर भी मेरी स्वर्गीया सास जी बहुत,
ReplyDeleteज़्च्छी थीं, ऐसा कभी नहीं किया
मौसी जी,आपकी सास जैसी सास भगवान
सभी बहुओं को दे।
अच्छी पोस्ट
ललित शर्मा जी,
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी देखकर, अपने हिन्दी सुधार लिया। 'ज़्च्छी' से 'अच्छी'। शायद और गलतियाँ भी ज़्यादा होगा...धन्यवाद।
"बहुत सुन्दर तरीका है घर को सँवारने का ओबा-सान....पके चावलों का उपयोग हम लोग बचपन में फ़टी पतंग को चिपकाने में करते थे...खूब मज़ा आता था..ओबा-सान आपने पतंग कब से नहीं उड़ायी....बहुत अच्छी पोस्ट ..फिर मिलते हैं ...."
ReplyDeleteAmitraghat जी,
ReplyDeleteपतंग! 10साल पहले पाकिस्तान में उड़ायी ! बहुत मज़ा आया।
"ओबा-सान शादी की वर्षगाँठ की ढेर सारी शुभकामनाएँ...........
ReplyDeleteAmitraghat जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत धन्यवाद !!!
आज खासकर नहीं किया, लेकिन भारतीय खाना खाए।