21 July 2010

कंडील मेला

पिछ्ले रविवार तक लगभग 2 महीने,  हम रोज़ ढोल, बँसुरी बजने का आवाज़ से जगाए जाते थे। रोज़ सवेरे 5 बजे से ढोल और बँसुरी के आवाज़ सुनाई दे रहा था। 18 तरीख को त्योहार ख़तम होकर आवाज़ भी ख़तम हो गय। जूलाइ, अगस्त,गर्मी मौसम में, पूरे जापान के इधर उधर में त्योहार आयोजित किया जाता है।

यहाँ हमारे कुकि शहर (तोक्यो से करीब 50 km दूर पर) में हर साल जुलाई के 12 और 18 तरीख को चोचिन् मात्सुरि का नाम त्योहार आयोजित किया जाता है।

चोचिन्, कागज़ की कंडील है। 400-500 कंडील से सजाए रथ, शहर में धीरे धीरे निकालते हैं। कुकि शहर के सब से पुराने 7 इलाके के पास हर रथ है, और रात को एक जगह सब रथ इकट्ठा होकर अपने का सुन्दरता या बजाते ढाल, बाँसुरी की कारीगरी दिखाते हैं। आजकल का त्योहार अधिकतर छुट्ठी में चलाते है। लेकिन यह कंडील मेला हर साल एक ही दिन, जुलाइ के 12 और 18 तरीख को ही अयोजित किया जाता है, अगर उन दोनों दिन छुट्टी नहीं होने के बा वजूद। सुना  है कि शिंतो धर्म, जापानी भगवान  को अच्छी फ़स्ल मिलने को और मुसीबत दूर  करने को प्रर्थना करने का त्योहार है।
त्योहार का टी शार्ट 

रथ की बात करूँ तो आगमी शनिवार, 24 तरीख को, जापान में भी भगवान श्री जगन्नाथ के  "रथ यात्र " आयोजित किया जाएगा। काई साल पहले से जापानवासी उड़िसी लोग रथ बनवाकर त्योहार चलाते हैं। मैं भी 2 साल पहले देखने गई। पूजा में नारियाल के टुकड़ा मिल। इस साल रथ यात्र योकोहामा में आयोजित किया जाएगा।

2 comments:

  1. "वाह !!!ओबा-सान, कितना सुन्दर लग रहे हैं ये रथ सचमुच मज़ा आ गया, ये कंडील मेला बहुत अच्छा लगा....लगता है कि जापान में कागज़ से बहुत कुछ बनता हैं...इसी लिए ओरिगेमी कला भी जापान से ही निकली है..है न ओबा-सान ...आप क्या-क्या बना लेती हैं ओबा-सान कागज़ से ..?....मैं नाव बहुत अच्छी बना लेता हूँ....वीडियो और पोस्ट दोनों बहुत अच्छे थे....फिर मिलते हैं..."

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  2. Amitraghat जी, हाँ, हम जापानी, सब कुछ
    कागज़ से बनाते हैं। कल मैंने सहली के बेटे के साथ रेल गाड़ी की ओरिगामि बनी। आप जापाने मे बारे में बहुत ज़्यादा जानते हैं न।

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