मैं हर महीने में एक बार, हिन्दी कहनी पढ़ने जाती हूँ ।अब कृष्णा सोबती का "बादलों के घेरे " पढ़ रही हूँ।
मेरे 5 सहपठियों में, एक मुझे से युवा है, 4 बड़े हैं ... सुना है कि उन में 3 लोगों की उम्र शायद 80 से ज़्यादा हैं। सब सालों हिन्दी सीखते आए हैं , पर एक युवती (उस की आयु भी अब 40 से बड़ी हो गई) को छोड़कर हम सब हिन्दी बोल नहीं सकते!
पिछ्ले क्लास से लौटने की गाड़ी में एक सहपठी से बात की ...सालों सीखने पर हिन्दी कुछ अभ्यास बढ़ा नहीं। लेकिन न जाने क्यों, छोड़ने का विचार भी मन में कभी नहीं हुआ था।
...शायद हिन्दी पसंद है ...?
29 March 2009
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