आज शनिवार, 12 जून है। फ़िर ताइअन... जापानी पंचांग में मंगल दिन है। शायद सारे जापान के जहाँ-जहाँ में शादी हुई होगी। शनिवार और रविवार, जापान के अधिकतर कॉपनी में छुट्ठी है, और मंगल दिन।
पुराने जापान में जून तो शादी समय नहीं था। जापान में वसंत... मार्च से माई, या शरद...सितंबर से नवंबर साल में सब से सुखद मौसम हैं। जून से जुलाई बरसात के लिए मौसम इतना अच्छा नहीं है...उमस भरा है। लेकिन आजकल "जून ब्राइड सुखी हो जाती है ।" ... ऐसा कहाकर जून में शादी होनेवाले पहले से ज़्यादा हो गए।
जापान में शादी अपने धर्म के अनुसार आयोजित की जाती है। हमरी शादी, 21 साल पहले शिंतो (जापानी भगवान धर्म) की शैली से हुई।
जापानी भगवान के सामने सदा के लिए एक दूसरे से प्यार करने का संकल्त करके, प्रसाद (शराब) लिए।
संकल्त
जापान में भी मंगल रंग लाल है, लेकिन विवाह संस्कार में वधू सफ़ेद किमोनो पहनती है। सफ़ेद पवित्र रंग है, और किसी रंग भी साफ साफ लगा सकते हैं.....मतलब वधू को ससराल शैली की आदी होना।
जापान में शादी करना तो पिता जी की जिम्मेदारी ही नहीं है। जैसे हम, दंपति खुद अपनी शादी करना भी आम की बात है। इसलिए आजकल दोनों के नया जीवन शुरु करने में खर्च कम करने के लिए, विवाह संस्कार न करने वर-वधी भी ज़्यादा हो रहे हैं।
यह शिंटो धर्म बौद्ध है?
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।
उन्मुक्त जी,
ReplyDeleteशिंतो धर्म बौध से अलग है। बौध धर्म जापान आने के पहले से हम जापानी भगवान पर विश्वास रखते थे। लेकिन शिंतो धर्म का प्रभाव पड़कर, जापानी बौध, भारतीय, चीनी, थाइलांड के बौध से अलग, जापानी शिली बौध हो गया। हम शिंतो और जापानी धर्म दोनों पर बराबर विश्वास रखते हैं। जैसा हमारे घर, विवाह शिंतो में, अंतिम संस्कार बौध में करनेवाला, जापान में सब से ज़्यादा है।
kafi jankari mili mausi ji.
ReplyDeleteआज का दिन हमारे लिए भी अच्छा है.जापानी मौसी के ब्लाग को देखा और बहुत सी नई बातें सीखने को मिलीं.
ReplyDeleteSanjeet Tripathi जी, धन्यवाद।
ReplyDeleteजनम, विवाह, मृत्यु, ऐसे में खासकर हर देश में हर
आदत है।
बेचैन आत्मा जी, धन्यवाद।
ReplyDeleteशिंतो शैली अंतिम संस्कार या बौध शैली विवाह भी है।
भारत में और गूढ़ होगा
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