कल जापान के वैज्ञानिक उपग्रह, क्षुद्रघह अंवेषी, हायाबुसा 7 सालों के बाद अंतरिक्ष से वापस आया। सालों अनेक काम करके आखिर वायुमंडल में आकर जल गया। इस हायबुसा को भूरि प्रशांसा करते आवाज़ जापान में भरा था। ज़रूर हम काफी समझते हैं कि यह महा काम हायाबुसा प्रोजेक्ट टीम से पूर्ति की गई है। फ़िर भी किसी तरह, लगता है कि हायाबुसा जैसा वीर है जो सारा बदन घायल होने पर तनमन से काम पुउरा करके, काम के मारे मर गया।
हायाबुसा ही नहीं, हमें ऐसा कभी कभी औजार के प्रति प्यार लगता है। गुडिया छोड़ने के समय भी पूजा करके पवित्र आगे से जलाते हैं, सिलाई की सूई भी साल में एक दिन, तोफ़ु (सोयबीन से बने पनीर ) में रखकर धन्यवाद देते हैं।
हमरे घर की वाशिंग मशीन 15 सालों से ज़्यादा, रिफ़्रिजरेटर 11 साल पहले से रोज काम करते आए हैं, मेरे महात्वपूर्ण सहयोगी हैं। लंबा समय साथ साथ रहने से औजार भी दोस्त हो जाता है।
हायाबुसा के बारे में यह कार्यक्रम, 18 जून तक सुन सकते हैं।
14 June 2010
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ओबा सान,
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी प्यारी दादी जैसी बातें आपकी मन मोह लेती हैं, भले ही आप इसे गड़बड़ लिखी हुई कहें, लेकिन अपना मतलब समझा देती हैं।
मेरी जापान से जुड़ी हुई यादों में से एक बात है जो मुझे जिन्दगी भर सालती रहेगी कि जब १९९२ में मैं अपने जापान प्रवास पर हामामात्सु शहर गया था। उसके आगे का किस्सा आगे बयाँ करूंगा.....
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
आपका हिन्दी प्रेम देखकर मन अभिभूत हुआ। हिन्दी में ब्लॉग लेखन की निरंतरता को आप बनाए रखें। अगर आपने "www.blogvani.com" पर अबतक अपने इस ब्लॉग को रजिस्टर ना कराया हो तो करा लें, इससे आपके ब्लॉग की पहुंच अन्य हिन्दी प्रेमियों तक बढ़ जाएगी।
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित.....
हुर्रे.....oba-san, जापान जीत गया ,आपको बधाई ,आप फुटबाल देख रहीं हैं न । मैं दीदी को छोड़्ने गया था उनकी ससुराल इसलिये आपकी पोस्ट नहीं पढ़ पाया । औज़ार पर बहुत अच्छी पोस्ट लिखी आपने ओबा-सान हम लोग भी पुरानी चीज़ों को खूब अच्छे से रखते हैं बिल्कुल अपनेपरिवार के सद्स्य की तरह। हायाबूसा की याद आएगी मैंने अखबार में पढ़ा था। आपकी पिछली पोस्ट भी अच्छी थी, यँहा पर भी जुलाई-अगस्त-सितम्बर में शादियाँ नहीं होती ।सफेद किमोनो में दुल्हन बहुत सुन्दर लग रही है ये फोटो किसकी है ओबा-सान । शिंतो धर्म के बारे में काफी पढ़ा है काफी पुराना है । अच्छा अब विदा ,फिर मिलते हैं ओबा-सान......."
ReplyDeleteमुकेश कुमार तिवारी जी, धन्यवाद। आप हामामात्सु गए? वहाँ रहते थे?
ReplyDeleteकैसे लगा?
दिवाकर मणि जी, जापान में मुझ से काफी अच्छी हिन्दी लिखनेवाले बहुत हैं।
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगवानी रजिस्टर करने के लिए,सब से पहले उस का बयान समझना होगा।
Amitraghat जी,
ReplyDeleteओकाएरि-नासाइ...आपका वापस आना स्वागत है।
जी हाँ, आज फुटबॉल की बात ही थी, जापान में। वे सब हमारी शादी के फोटो हैं, 21 साल पहले के जुलाई में। हाँ, हमारी शादी जुलाई में हुई, जून से सस्ते में कर सकी। :-)