जो पिछ्ले पोस्ट में लिखा, किसी को बधाई करने या दिलासा देने के लिए पैसा देने का हमारा आदत है।
बधाई करने के लिए, कुछ तोहफ़ा भी देते हैं। फ़िर पैसा कुछ काम में भी आता है, उपयोगी होगी...ऐसा सोचकर पैसा देना भी आम की बात है।
ऐसा तर्कपूर्ण जापानी लोगों के पास, बहुत असंगत प्रथा है कि मिला पैसा का आधा, देनेवाले को वापस देने की।
उदाहरण के तौत पर, आप किसी के अंत्योष्टि संस्कार में 5000 येन देंगे तो, 35 या 49 दिन के बाद, उस स्वर्गीय के परिवार से लगभग 2500 येन की कीमत की चीज़ पहुँचेगी। जैसे साबुन, टावेल सेट, ऐसे आवश्यक वस्तुएँ। आज कल कुछ भी आप चाहें, वह चुनने के लिए सूचीपत्र आता है। उन में से आपकी पसंद चीज़ चुनकर वही मिल सकते हैं।
बीमारों की मिज़ाजपुर्सी, वह भी ठीक होने के बाद, मिला पैसे के करीब आधा कीमत की चीज़ भेजते हैं।
जापानी औपचारिक शादी जाते समय, हम पैसा लेते आते हैं। शादी में सिर्फ़ भोजन ही नहीं, कुछ तोह्फ़ा भी मिलेगा। उन की कीमत हमरा दिया पैसे का आधा की कीमत से बराबर नहीं हो सकता है। लेकिन पैसे के अलावा, कुछ भेंट भेजेंगे तो, बाद में अधिकतर आधा पहुँचेगा। बूढ़े लोग ऐसा कहते हैं कि दुख दूर होने के लिए, और खुश बाँटने की प्रथा है। लेकिन मुझे लगता है, बाद में आधा लेने से पहले से आधा देना तो तर्कपूर्ण है।
04 April 2010
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वाह बहुत अच्छा रिवाज बताया आपने,
ReplyDeleteहमारे यहाँ तो पुरा और उससे भी ज्यादा
वापस करने की परम्परा है,
जैसे आपको किसी ने 101रुपये मांगलिक अवसर पर भेंट किए
तो हम भेंट देने वाले के यहां मांगलिक अवसर पर 111रुपये भेंट करते हैं।
नमस्कार
ललित शर्मा जी, नमस्कार।
ReplyDeleteसुनाकर यही जानती थी कि आप लोग शादी पर प्रस्थान करने के लिए 0 नहीं, अंत में 1 लगाते हुए संक्या का पैसा भेंट करते हैं। यह अच्छी बात है! लेकिन जो आपने टिप्पणी में लिखा, वह पहली बार सुना और बहुत दिलचप्सी लगा।