भारत में भी, व्यकति के घर में ज़्यादातर उतारते हैं न ? लेकिन कभी कभी पहनते हुए हैं। भारत में मैंने दूसरे भारतीय लोगों का तौर-तरीके देखकर जूते उतारकर या पहनते हुए घर के भीतर जाती थी। उतारेंगे तो अधिकतर मकान के बाहर उतारते हैं, आप लोग। लेकिन जापान में ज़रूर मकान के अंदर में जूता उतारते हैं।
यह हमारे घर के प्रवेशद्वार है। हमारा फ़्लैट छोटा है, इसलिए प्रवेशद्वार भी छोटा है...मकान के प्रवेशद्वार तो कम से कम इस का चोगुना, छगुना का चौड़ा है... खैर, जापानी फ़्लैट का प्रवेश्द्वार अधिकतर ऐसा है...।
हम यहाँ जूते उतारते हैं। और उतारने के बाद फ़िर पहनते हैं, चट्टी ( स्लिपर ) को। स्कूल में भीतरी जूते को।
स्लिपर
और जापानी परंपरित कमरे में फ़िर स्लिपर उतारते हैं। शौचालय के बाहर भी स्लिप र उतारकर...फिर शौचालय में दूसरे को , शौचालय के लिए स्लिपर, पहनते हैं !मकान के भीतर न गंदा करने के लिए प्रवेशद्वार में जूते उतारते हैं। लेकिन क्यों मकाम में ऐसा बार बार स्लिपर पहनते उतारते हैं?
पता नहीं, पर मेरा विचार यह है...शायद हम जापानि यों के लिए, परंपरित जापानी कमरा, सब से महत्वपूर्ण है...बढ़ा-चढ़ाकर बोलूँ तो पवित्र कमरा है। जापानी परंपरित कमरे में तातामि का नाम फ़र्शवाला बिछा है
जो एक प्रकार पौधे से बनी। उस तातामि पर जूते या स्लिपर पहनते हुए चलना कभी नहीं जाने देगा।
स्लिपर तातामि साफ़ रखने के लिए तातामि के कमरे के बाहर पहनते हैं, शायद। और अब का शौचालय तो बहुत साफ़ के बावजूद, शायद हमें ऐसा लगता होगा कि फ़िर भी घर के दूसरे कमरे से अपवित्र है। इसलिए शौचालय के लिए खासकर स्लिपर पहनते हैं...।
बायाँ : जापानी परंपरित ढंग का कमरा
उस कमरे का फ़र्श लकड़ी का फ़र्शवाले कमरे से थोड़ा सा ऊँचा है।
oba-san,ये तो बहुत अच्छी पोस्ट है। यहाँ भारत में भी यही परम्परा है कई घरों में शौचालय में पहले से ही चप्पलें रखी होती हैं। पर हमारे घर में ऐसा कुछ बन्धन नहीं है हाँ बाहर ज़रूर पाँव पोश रखा होता है....फिर मिलते हैं"
ReplyDeleteAmitraghat जी,
ReplyDeleteभारत में मंदिर में भी जूते उतार्ते हैं। मैं भारत में बराबर जूते उतारती पहनती थी। और ऐसा लगा कि भारत घूमने के लिए जूते से चप्पल अच्छा है...।
जापान में भी मंदिर में ज़रूर जूते उतारते हैं, फ़िर हम लोग अधिकतर मंदिर के अंदर नहीं आते हैं। मंदिर के बाहर से भगवान से प्रार्थना करते हैं।