23 June 2010

पहचान

भरतीय लोगों से काई बार पूछी जाती हूँ कि जापानी महिलाओं, विवाहित-अविवाहित, कैसे पहचाएँ? भारत में मंगलसूत्र, सिंदूर, या वेडिंग रिंग हैं। सुना है, इसलिए आसनी से पता चलता है। लेकिन जापान में वेडिंग रिंग भी सब का सब विवाहित व्यक्ति पहनना तो ज़रूर नहीं है। शादी में वेडिंग रिंग अदला-बदला करना तो आजकल हमरा आदत हो गया, लेकिन पहले तो ऐसा नहीं था, और शादी के बाद रोज़ रिंग पहननेवाले ज़्यादा नहीं हैं। मेरे पति और मुझ दोनों को रिंग पसंद नहीं है, इसलिए पहले से वेडिंग रिंग नहीं खरीदीं।

बहुत पहले, जब हम जापानी रोज़ किमोनो पहनते थे, तब किमोनो की आस्तीन से पता चला। अविवाहित लड़कियों के किमोनो के पास लम्बी आस्तीन हैं, और विवाहित महिलाओं के किमोनो की आस्तीन छोटी हैं। और विस्तार से ठीक ठीक बताऊँ तो, अविवाहित महिला, छोटी आस्तीन वाली किमोनो भी पहन सकती हैं, पर विवाहित नहिलाएँ, लम्बी वाली  पहनना नहीं मनना जाता है। सिर्फ लम्बीवाली पहननेवाली ही अबविवाहित महिला हैं।


विवाहित महिला...छोटी आस्तीन किमोनो

अविवाहित लड़की ...लम्बी आस्तीन किमोनो 

आदमी के बारे में देखने में अविवाहित-विवाहित पहचाना उपाय, मैं नहीं जानती हूँ।

आम तौर पर जापान में देखने में दूसरों को पहचान करना तो मुश्किल है।बोलेंगे तो बोली के असर से अधिकतर पता चलेगा कि कहाँ में पला है। चेहरा या क़द-काठ में भी बहुत कम लगाने की समाग्री मिल सकते हो...उत्तरी जापान में गोरे लोग अपेक्षाकृत ज़्यादा रहते हैं।लेकिन कुलनाम से ज़्यादा पता नहीं चलता है....150 साल से पहले तक अधिकतम जनता के पास कुलनाम नहीं था। कुलनाम लगाने का व्यवस्था शुरू हुआ, सब अपनी मर्जी या कोई कारण से अपना कुलनाम लगाया।...इस के बारे में फिर लिखना चाहती हूँ।

4 comments:

  1. "बहुत अच्छी पोस्ट ओबा-सान ,क्या किमोनो अभी भी सबसे ज़्यादा पहनने वाली पोशाक है? या फिर उसको पहनने वाले कम होते जा रहे हैं..यहाँ की राष्ट्रीय पोशाक साड़ी है..हर छोटी लड़की बड़े होकर साड़ी ही पहनती है.... बोनसाई तो यहाँ बेहद फेमस हैं कई क्लब हैं बोंसाई के...फिर मिलते हैं ओबा-सान..."

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  2. Sanjeet Tripathi जी,

    लम्बी आस्तीन किमोनो, खासकर 'फुरिसोदे
    ' कहते हैं...हिलाती आस्तीन। और दीक्षी संस्कार के लिए तैयार करते लोग ज़्यादा हैं।
    शादी के बाद आस्तीन छोटी काट करके फिर पहन सकती हैं।

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  3. Amitraghat जी,

    अब जापान में किमोनो पेहन के का मौका बहुत कम है। लेकिन अब भी सब से औपचारिक पोशाक लगता है। किमोनो पहनेंगे तो चलने की चेष्टा भी बदर हो जाती है।

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