15 April 2010

संप्रेषण योग्यता


2006 के बाद मैं भारत नहीं घूमने गई हूँ। लेकिन कम से कम उस समय तक भारत में वेंडिंग मशीन नहीं देखा था। बैंक या स्टेशान पर लंबा क्यू लगाते हुए जापान का वेंडिंग मशीन का याद करती थी।
 
जापान में टिकट अधिकत र वेंडिंग मशीन से निकालते हैं। इसलिए टिकट मिलने के लिए इतना लंबा समय खड़ा होने की ज़रूरत नहीं है। आजकल एक एक टिकट खरीदे बिना, एक पास से हर रेल गाड़ी, बस, सबवे सब चढ़ सकते हैं। टिकट ही नहीं, पीनी खाने की चीज़ भी वेंडिंग मशीन से मिलते हैं। सामान भी क्लोक को माँगे बिना, कोइन लोक्कर में सिक्का डालकर आराम से रख सकते हैं। चीज़ों पर फ़िक्स प्राइस लगा है, दाम पूछे  बि ना सिर्फ़ पैसा देंगे तो रेज़गी ठीक ठीक वापस आएगा। समय भी ज़्यादा नहीं लगता। हमें वे सुविधा लगता है।


कोर्ड ड्रिंक का  वेंडिंग मशीन


लेकिन सुविधा तो इतना अच्छा है?
दूसरों से बात न करके सब कुछ खुद कर सकता है, यह ज़रूर अच्छी बात है?

तोक्यो में दिन भर किसी से कुछ भी बात किए बिना रह सकते हैं। मुझे कभी कभी ऐसा लगता है...हम दूसरों से मिलना-जुलनी का तकनीक या संस्कृति खो रहे हैं। फ़ुसफ़ुसाना भी अपने मुंह से नही, twitter में लिखते हैं।  बातचीत से पहले आवाज़ निकालना भी भूल जाएँगे।

2 comments:

  1. "मौसी जी वाकई में ये सुविधा जनक है । यहाँ भारत में बड़े-बड़े शहरों में हो सकता है कि वेंडिग मशीन लग गई हो पर यहाँ भोपाल में नहीं लगी है कम से कम खाने-पीने के सामान के लिये तो नहीं । हाँ बचपन में सिक्का डालकर दूध लेने में बड़ा मज़ा आता था।
    जापान में लोग आपस में मिलते -जुलते क्यों नहीं है क्या किसी के पास समय नहीं है... बढ़िया पोस्ट..फिर मिलते हैं..."

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  2. Amitraghat जी,
    हाँ जी, जो तोक्यो या ऐसे बड़ॆ शहर में काम करनेवाले बहुत व्यस्त और थके हैं। और अपने समय बनाने के लिए मिलना- झुलना दूर करने से बातचीत के तौर- तरीका भी भूल गय
    ...।

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